डॉ. भीमराव अंबेडकर (Dr. Bhim Rao Ambedkar) भारतीय समाज सुधारक, नेता और संविधान निर्माता थे। उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को महू, मध्य प्रदेश में हुआ था। वे भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माता थे और दलितों (अछूतों) के अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले महान नेता थे।
डॉ. अंबेडकर का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
32 डिग्रियां और 9 भाषाओं के ज्ञाता थे डॉ. आंबेडकर, 8 साल की पढ़ाई 2 साल 3 महीने में की थी पूरी की थीं l
डॉ. भीमराव अंबेडकर की शिक्षा यात्रा असाधारण और प्रेरणादायक थी। उनके जीवन में शिक्षा का बहुत महत्वपूर्ण स्थान था, और उन्होंने कठिन परिस्थितियों के बावजूद उत्कृष्ट शिक्षा प्राप्त की।उनकों अपने जीवन के शुरुआती वर्षों में जातिगत भेदभाव की कठोर वास्तविकताओं का सामना करना पड़ा। बचपन में सामाजिक बहिष्कार और अपमान का सामना करने के उनके अनुभव ने उनमें जाति व्यवस्था के अन्याय के खिलाफ लड़ने का गहरा संकल्प पैदा कर दिया।
1. प्रारंभिक शिक्षा: डॉ. अंबेडकर का जन्म एक दलित परिवार में हुआ था, जो भारतीय समाज में उस समय सामाजिक भेदभाव और असमानता का सामना करता था। फिर भी, उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा हासिल की। वे पहली बार 9 साल की उम्र में स्कूल गए, लेकिन उस समय के जातिवाद के कारण उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
2. बी.ए. (Bachelor of Arts): अंबेडकर ने अपनी उच्च शिक्षा की शुरुआत “बमबई विश्वविद्यालय” (अब मुंबई विश्वविद्यालय) से की। उन्होंने 1912 में “बॉम्बे विश्वविद्यालय” से बी.ए. की डिग्री प्राप्त की।
3. एम.ए. (Master of Arts): इसके बाद उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय, न्यूयॉर्क, से “एम.ए.” (Master of Arts) की डिग्री प्राप्त की। यहाँ उन्होंने भारतीय समाज, इतिहास और अर्थशास्त्र पर गहन अध्ययन किया।
4. डॉक्टरेट (Ph.D.): डॉ. अंबेडकर ने कोलंबिया विश्वविद्यालय से 1927 में “डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी” (Ph.D.) की डिग्री प्राप्त की। उनका शोध विषय था “The Problem of the Rupee: Its Origin and Its Solution”, जिसमें उन्होंने भारतीय मुद्रा और अर्थव्यवस्था पर विचार किया।
5. एल.एल.डी. (LL.D.): इसके बाद उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से कानून और राजनीति शास्त्र में अध्ययन किया और वहाँ से “डॉक्टरेट इन लॉ” (LL.D.) की डिग्री प्राप्त की। यह डिग्री उन्हें 1952 में लंदन विश्वविद्यालय से मिली थी।डॉ. अंबेडकर की शिक्षा जीवन की कठिनाइयों से भरी थी, लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत, समर्पण और बुद्धिमत्ता से सभी बाधाओं को पार किया और शिक्षा के क्षेत्र में असाधारण सफलता प्राप्त की। उनका जीवन यह साबित करता है कि शिक्षा के माध्यम से सामाजिक और व्यक्तिगत परिवर्तन संभव है, चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों।
अंबेडकर ने अपनी शिक्षा में असाधारण सफलता प्राप्त की, और वे भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों से कानून और राजनीति में उच्च डिग्रियाँ प्राप्त करने वाले पहले भारतीयों में से एक थे। उन्होंने भारतीय समाज में व्याप्त जातिवाद, असमानता और शोषण के खिलाफ संघर्ष किया और दलित समुदाय के लिए समान अधिकारों की लड़ाई लड़ी।
डॉ. अंबेडकर ने भारतीय संविधान को तैयार करते समय समानता, स्वतंत्रता, और बंधुत्व के सिद्धांतों पर जोर दिया। उनका योगदान सिर्फ संविधान तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने भारतीय समाज के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सुधारों के लिए भी काम किया।
अंबेडकर का योगदान केवल दलितों तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने समग्र भारतीय समाज की उन्नति के लिए कार्य किया। उनकी दृष्टि ने भारतीय समाज के विभाजन को खत्म करने की दिशा में अहम कदम उठाए।
डॉ. भीमराव अंबेडकर की मृत्यु 6 दिसंबर 1956 को हुई थी। उनका निधन दिल्ली में हुआ, और वे उस समय केवल 65 वर्ष के थे। उनकी मृत्यु का कारण दिल का दौरा (heart attack) था, और यह उनकी कड़ी मेहनत और संघर्षपूर्ण जीवन के बाद हुआ।
उनकी मृत्यु के समय वे बौद्ध धर्म को अपनाने के आंदोलन में सक्रिय थे और लाखों भारतीयों को बौद्ध धर्म की ओर प्रेरित कर चुके थे। उन्होंने 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म को अपनाया था।
उनकी मृत्यु के बाद, डॉ. अंबेडकर को पूरे भारत में महान सम्मान और श्रद्धा से याद किया जाता है। उनका अंतिम संस्कार मुंबई में हुआ, और उनका स्मारक “डॉ. अंबेडकर समृद्धि स्थल” (Chaitya Bhoomi) अब एक महत्वपूर्ण स्थल बन चुका है, जहाँ हर साल उनकी पुण्यतिथि पर लाखों लोग श्रद्धांजलि अर्पित करने आते हैं।